cane up.in: वैसे तो पूरे उत्तर प्रदेश को ही चीनी का कटोरा कहा जाता है। वजह भी खास है। यहां गन्ने की खेती इतनी जबरदस्त होती है कि देश में सबसे ज्यादा चीनी का उत्पादन यहीं होता है। पश्चिम उत्तर प्रदेश के बिजनौर, अमरोहा, मुजफ्फरनगर, शामली, सहारनपुर, मेरठ और आसपास के जिलों में गन्ना मुख्य फसल है। आम तौर पर यहां गन्ने की ऊंचाई 8 से 10 फीट तक होती है। लेकिन अब बिजनौर जिले के किसानों ने कुछ ऐसा कमाल कर दिखाया है कि लोग कहने लगे हैं- गन्ना हो तो ऐसा!
गन्ने में नए प्रयोग से आई क्रांति
बिजनौर के नांगल, तिसोतरा और गंज इलाकों के किसान अब 20 फीट तक के गन्ने की फसल उगा रहे हैं। ऐसा सुनने में जितना अजीब लगता है, उतना ही मजेदार भी है। गांव के किसान मोनवीर सिंह और संदीप तोमर के खेतों में गन्ना अभी से 15-18 फीट तक पहुंच गया है। और हां, फसल तैयार होने में अभी वक्त है। मतलब ये कि गन्ना 20 से 22 फीट तक का हो सकता है।
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बीज बदलने का कमाल(cane up.in)
यह चमत्कार बीज बदलने और नई तकनीक अपनाने से हुआ है। किसानों ने पारंपरिक बीजों को छोड़कर वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए गए नए किस्म के बीज लगाए। साथ ही, सिंचाई और उर्वरकों के इस्तेमाल में भी बदलाव किए। और क्या कमाल किया! एक बीघे में 100 से 125 कुंटल तक उपज मिलने लगी।
विधायक के खेत में भी गन्ने का जलवा (cane up.in)
गंज गांव में चांदपुर के विधायक स्वामी ओमवेश ने अपने केवलानंद फार्म पर इसी तकनीक से गन्ना उगाया है। उनके खेतों में गन्ना 15 फीट तक पहुंच चुका है। उम्मीद है कि फसल कटाई तक 18-20 फीट तक हो जाएगी। खुद विधायक जी का कहना है कि गन्ने की खेती ने किसानों की दशा और दिशा दोनों बदल दी है।
बिजनौर बना गन्ने की खेती का केंद्र (cane up.in)
बिजनौर जिले में करीब ढाई लाख हेक्टेयर भूमि पर गन्ने की खेती हो रही है। यहां 9 शुगर मिले, 30 केन क्रेशर और सैकड़ों गुड़ कोल्हू चल रहे हैं। किसानों से गन्ना खरीदकर चीनी, सीरा, ऐथेनाल और गुड़ बनाया जा रहा है।
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मजेदार बातें और किसानों की खुशी (cane up.in)
गांव के बुजुर्ग मजाक करते हुए कहते हैं, “पहले तो गन्ना बच्चों को चूसने के लिए देते थे, अब तो लगता है उन्हें गन्ने पर चढ़ने के लिए कहना पड़ेगा!”
वहीं, बच्चों को गन्ने के खेतों में छुपने का नया अड्डा मिल गया है। “गन्ने के जंगल” में लुका-छिपी खेलते हुए बच्चे भी खुश हैं और किसान भी।
गन्ने की खेती से मालामाल किसान (cane up.in)
गन्ने की इस नई किस्म और तकनीक से किसानों को न केवल बेहतर उपज मिल रही है, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति भी सुधर रही है। गन्ना किसान अब इसे “ग्रीन गोल्ड” कहने लगे हैं।
भविष्य की उम्मीदें और सीख (cane up.in)
बिजनौर के किसानों ने दिखा दिया है कि अगर खेती में नई तकनीक और वैज्ञानिक सोच को अपनाया जाए, तो सफलता निश्चित है। बाकी किसानों को भी इस मॉडल से सीख लेनी चाहिए। और हां, अगली बार अगर आप बिजनौर जाएं, तो गन्ने के खेतों में सेल्फी लेना न भूलें। कौन जाने, यह गन्ना आपके सोशल मीडिया पर भी वायरल हो जाए!
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश में गन्ने की खेती में आया यह बदलाव न केवल किसानों को समृद्ध कर रहा है, बल्कि देश के चीनी उत्पादन में भी बड़ा योगदान दे रहा है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि गन्ने की इस नई ऊंचाई ने किसानों की मिट्टी को सोना बना दिया है
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