cane up: भारत में गन्ने की खेती एक बेहद महत्वपूर्ण नकदी फसल मानी जाती है। किसान भाई-बहनों के लिए यह फसल आमदनी का एक अच्छा जरिया बन सकती है, लेकिन इसको सही तरीके से देखभाल करना भी उतना ही जरूरी है। गन्ने की फसल से अच्छा लाभ तभी मिल सकता है, जब इसको ध्यान से उगाया जाए और समय-समय पर जरूरी काम किए जाएं। खासकर दिसंबर का महीना गन्ने की फसल के लिए अहम होता है। इस महीने में अगर आप गन्ने की फसल में कुछ खास काम करें तो आप बेहतर पैदावार की उम्मीद कर सकते हैं। तो चलिए जानते हैं अगस्त में गन्ने की फसल में कौन-कौन से 8 काम करने चाहिए, ताकि आपको इसका पूरा फायदा मिल सके।
1. cane up: गन्ने की फसल को गिरने से बचाने के लिए उसे दिसंबर के प्रथम सप्ताह में बांध देना चाहिए। इसके लिए प्रत्येक पंक्ति के एक-एक गुच्छे को बीच में उसकी सूखी पत्तियों से बांध देना चाहिए। cane up
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2. जिन खेतों में हरी खाद के लिए ढैंचा या सनई बोई गई हो, उसे 45 से 60 दिन बाद खेत में पटरा चलाकर दबा देना चाहिए तथा मिट्टी पलटने वाले हल से पलट देना चाहिए। अच्छे परिणाम पाने के लिए यदि ढैंचा या सनई को पूर्व में सुपर फास्फेट नहीं दिया गया हो तो उसे 40 से 60 किलोग्राम फास्फेट प्रति हेक्टेयर की दर से फसल पलटने के बाद देना चाहिए।cane up
3.गन्ने की फसल से पूरा लाभ लेने के लिए 5 प्रतिशत यूरिया को पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। छिड़काव के एक दिन के अंदर यदि बारिश हो जाए तो यूरिया का प्रभाव कम हो जाता है।
4. यदि बरसात के मौसम में खेत में पानी भर जाए तो उसके जल निकासी की व्यवस्था करनी चाहिए।cane up
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5. गन्ने के खेत में खरपतवारों के बीच मुख्य रूप से लताएं उगती हैं तथा गन्ने के पौधों को लपेटकर चढ़ जाती हैं। इससे गन्ने की बढ़वार पर बुरा असर पड़ता है। ऐसे में इन बेलनुमा खरपतवारों को खेत से निकालकर फेंक देना चाहिए।
6. प्रदेश के पूर्वी भाग में गन्ने की बुवाई मध्य दिसंबर से शुरू हो जाती है। ऐसे में किसान को अपने खेतों में बुवाई के लिए नर्सरी से गन्ने की विभिन्न किस्मों का चयन कर बीज गन्ना प्राप्त करने की व्यवस्था कर लेनी चाहिए।
7. इस माह में आमतौर पर कुंडवा, काना, विवर्ण, लालधारी, पोक्का रोग, गूदा सड़न रोग भी लगते हैं। ऐसे में समय-समय पर फसल का निरीक्षण करते रहना चाहिए। यदि रोग का प्रकोप दिखे तो उसकी रोकथाम के उपाय करने चाहिए।
8. इस माह में गन्ने की फसल में शीर्ष छेदक, काला चिकटा, सफेद कीट, पायरीला, अंकुरबोधक, गुरुदासपुर छेदक का प्रकोप देखने को मिलता है। ऐसे में फसल का निरीक्षण करते रहना चाहिए। यदि गन्ने की फसल में किसी रोग के लक्षण नजर आएं तो उसकी रोकथाम के उपाय करने चाहिए।
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