ठंड नहीं बढ़ी, तो रबी की फसलों का क्या होगा हाल? जानें किसानों के लिए जरूरी टिप्स

ठंड नहीं बढ़ी, तो रबी की फसलों का क्या होगा हाल? जानें किसानों के लिए जरूरी टिप्स

रबी की फसल आमतौर पर नवरात्रि के बाद तापमान में गिरावट शुरू हो जाती है और दिवाली तक ठंड पूरी तरह से हावी हो जाती है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। दिवाली को 15 दिन बीत चुके हैं और अभी तक ठंड का नामोनिशान नहीं है। तापमान में इस बढ़ोतरी के लिए जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। यही वजह है कि किसानों को अभी रबी की फसल न बोने की सलाह दी जा रही है।

ठंड नहीं बढ़ी, तो रबी की फसलों का क्या होगा हाल जानें किसानों के लिए जरूरी टिप्स
ठंड नहीं बढ़ी, तो रबी की फसलों का क्या होगा हाल जानें किसानों के लिए जरूरी टिप्स

जलवायु परिवर्तन का असर साफ दिख रहा है। नवंबर के महीने में जब ठंड होनी चाहिए, लोग पंखे चलाकर सो रहे हैं। इस महीने में लोगों को पसीना आ रहा है। यह जलवायु परिवर्तन का असर है। इसका असर खेती पर भी दिख रहा है। नवंबर के महीने में अगर अच्छी ठंड पड़ती है तो रबी की फसलों की ग्रोथ अच्छी होती है। खासकर गेहूं और सरसों को इससे फायदा होता है। दोनों फसलों की बुवाई चल रही है या कई जगहों पर अभी वे अंकुरण अवस्था में हैं। ऐसे में अधिक तापमान ऐसी रबी फसलों के लिए घातक साबित हो सकता है।

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नवंबर के महीने में तापमान में वृद्धि और गर्मी का अहसास कई फसलों के लिए अच्छा संकेत नहीं है। इस संबंध में सबसे बड़ी चिंता गुजरात से आ रही है, जहां फसलों की बुवाई में देरी की खबर है। गुजरात के कृषि महानिदेशक ने जानकारी दी है कि इस बार राज्य में 3.08 लाख हेक्टेयर में रबी फसलों की बुवाई हुई है, जो पिछले साल की तुलना में 47 प्रतिशत कम है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि जलवायु परिवर्तन का असर मौसम पर देखा जा रहा है।

गुजरात में देरी से बुवाई रबी की फसल

गुजरात में यह पहली बार है कि किसानों को एडवाइजरी जारी की गई और उन्हें अभी रबी फसलों की बुवाई रोकने के लिए कहा गया। कृषि विभाग ने कहा कि अक्टूबर और नवंबर में दैनिक तापमान 34 और 36 डिग्री के आसपास है, जो रबी फसलों की बुवाई के लिए अच्छा नहीं है। बाकी राज्यों की बात करें तो जहां किसानों ने रबी फसलों की बुवाई की है, उन्हें इस बात की चिंता है कि अगर तापमान में गिरावट नहीं आई और ठंड नहीं बढ़ी तो उनकी फसलों का क्या होगा।

गुजरात कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि चना, सरसों, लहसुन, जीरा, गेहूं, धनिया और प्याज जैसी रबी फसलों के अंकुरण के लिए 25 से 30 डिग्री के बीच तापमान होना चाहिए। लेकिन तापमान इससे अधिक चल रहा है। ऐसे में जब तक यह तापमान कायम न हो जाए, इन फसलों की बुवाई नहीं करनी चाहिए। हाल ही में गुजरात के उपनिदेशक भावेश पटेल ने कहा कि इस समय दिन का तापमान अंकुरण के तापमान से अधिक चल रहा है।

किसानों के लिए सलाह

आमतौर पर नवरात्रि के बाद तापमान में गिरावट शुरू हो जाती है और दिवाली तक ठंड पूरी तरह से आ जाती है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। दिवाली को 15 दिन हो चुके हैं और अभी तक ठंड का नामोनिशान नहीं है। तापमान में इस बढ़ोतरी के लिए जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। यही वजह है कि किसानों को अभी रबी फसलों की बुवाई न करने की सलाह दी जा रही है। अगर फसल की बुवाई हो चुकी है तो स्प्रिंकलर विधि से सिंचाई करने की सलाह दी जा रही है। अगर कोई फसल बोनी है तो स्प्रिंकलर विधि से सिंचाई करनी चाहिए।

इस मौसम में कई तरह की विसंगतियां देखने को मिल रही हैं। इस वजह से किसानों ने फसलों की बुआई देरी से शुरू की है। इस बार गर्मियों में तापमान ज्यादा रहा, मानसून में 30 फीसदी ज्यादा बारिश हुई और अब सर्दियों में गर्मी का एहसास हो रहा है। इसका सबसे ज्यादा नुकसान सब्जी की फसलों को हुआ है और रबी की फसलों की बुआई में देरी हुई है। अभी अधिकतम तापमान ज्यादा है जिससे फसलों का अंकुरण और फसल की पूरी ग्रोथ प्रभावित हो सकती है। अगर बुआई नहीं हुई है तो उचित तापमान का इंतजार करने की सलाह दी जाती है।

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