Cane up: लखीमपुर खीरी के गन्ना किसानों के लिए यह सीजन किसी बुरे सपने से कम नहीं रहा। एक तरफ फसल तैयार खड़ी है, तो दूसरी तरफ पिछला बकाया गन्ना मिलों में अटका पड़ा है। किसानों के लिए यह गन्ना पेराई नहीं बल्कि “परेशानी पेराई” का समय बन गया है।
बकाया भुगतान ने बिगाड़ी किसानों की मिठास (Cane up)
किसानों का आरोप है कि पिछले सीजन का भुगतान अभी तक नहीं हुआ है। उन्हें उम्मीद थी कि इस बार उनके खाते में चीनी मिलों से पैसे जल्द आएंगे, लेकिन उम्मीदें अब निराशा में बदल गई हैं। एक किसान ने मजाकिया अंदाज में कहा, गन्ना तो मिठास देता है, पर जब चीनी मिलें भुगतान नहीं करतीं, तो लगता है जैसे ये गन्ना किसी कड़वे पेड़ से तोड़कर लाए हैं! यह आर्थिक तंगी किसानों को मजबूर कर रही है कि वे अपनी फसलें कम दामों पर बेच दें।
आर्थिक संकट ने बढ़ाई परेशानी (Cane up)
पैसों की कमी के चलते किसानों को साहूकारों से कर्ज लेना पड़ रहा है। लेकिन ये कर्ज किसी भी राहत की जगह उन्हें और परेशान कर रहा है।अब गन्ना बेचकर कर्ज उतारने का सपना भी अधूरा लगता है। हालत यह है कि किसान सोचते हैं, ‘मिल वाले पैसा देंगे, या हम ही जाकर गन्ना काटकर चीनी बनाएं? गन्ना उत्पादन तो अच्छा हुआ है, लेकिन बाजार में सही कीमत न मिलने से किसान अपने ही खेतों में खड़े गन्ने को देखकर परेशान हो रहे हैं।
खर्च बढ़ा, पर आय घटती गई (Cane up)
किसानों का कहना है कि इस बार खाद, बीज, और डीजल के दाम बढ़ गए हैं। लेकिन गन्ने की कीमतें वही पुरानी हैं, जो अब उनकी जरूरतें पूरी नहीं कर पा रही हैं। ऐसा लगता है जैसे गन्ने की मिठास सिर्फ चाय में ही काम आती है, किसानों की जिंदगी में नहीं,” एक किसान ने ठहाका लगाते हुए कहा।
सरकार से उम्मीदें, लेकिन कब पूरी होंगी? (Cane up)
गन्ना किसानों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि चीनी मिलों पर सख्ती की जाए ताकि उन्हें समय पर भुगतान मिले।सरकार ने कई बार आश्वासन दिया, लेकिन किसान अब पूछते हैं, “आश्वासन की मिठास कब खाते में आएगी?”हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि पिछले सीजन के भुगतान को लेकर काम चल रहा है। लेकिन किसानों को यह सुनकर राहत नहीं मिल रही, क्योंकि उनकी आर्थिक स्थिति पहले ही बदतर हो चुकी है।
किसानों की मांगें क्या हैं? (Cane up)
- पिछले सीजन का बकाया तुरंत भुगतान किया जाए।
- गन्ने की सही कीमत तय की जाए ताकि उनका खर्च निकल सके।
- खाद, बीज और डीजल पर सब्सिडी दी जाए।
- चीनी मिलों पर समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए सख्त कानून बनाए जाएं।
आगे क्या?
लखीमपुर खीरी के गन्ना किसानों की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। अगर जल्दी ही कोई समाधान नहीं निकाला गया, तो किसान आंदोलन करने पर मजबूर हो सकते हैं। अब किसान सोच रहे हैं कि हमें आंदोलन करने का ‘रस’ मिलेगा, या फिर गन्ने का रस भी किसी और के हिस्से में जाएगा.
मिठास के लिए संघर्ष
गन्ना किसानों की हालत वाकई चिंताजनक है। उनके पास मेहनत है, फसल है, लेकिन आर्थिक समस्याओं ने उनकी मिठास को कड़वाहट में बदल दिया है। सरकार और चीनी मिलों को इस संकट का हल निकालना होगा, ताकि गन्ना किसानों की मेहनत का सही सम्मान हो सके। क्योंकि गन्ना केवल चीनी ही नहीं, बल्कि लाखों किसानों की उम्मीदों और सपनों का प्रतीक है।