kisan news: खेती-किसानी का मतलब सिर्फ मिट्टी में हाथ गंदा करना ही नहीं है, बल्कि इसमें मेहनत, इनोवेशन और सरकार की मदद का तड़का भी शामिल है। और अब, मध्य प्रदेश के किसान भाई-बहनों के लिए एक खुशखबरी आई है! अगर आप जैविक खेती करते हैं या करने की सोच रहे हैं, तो आपके लिए सरकार ने एक जबरदस्त योजना लाई है। अब जैविक खेती करने वाले किसानों को हर साल 5,000 रुपये प्रति हेक्टेयर मिलेंगे।
जैविक खेती का क्या है खास? (kisan news)
जब पूरे देश में खाद्य संकट आया था, उस समय रासायनिक खाद और कीटनाशकों का धड़ल्ले से इस्तेमाल शुरू हुआ। इससे फसलें तो बढ़ीं, लेकिन मिट्टी की सेहत बिगड़ने लगी। अब हालत यह है कि कई जगहों पर मिट्टी ऐसी हो गई है जैसे “थाली में बिना नमक का खाना”।
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- क्या होती है जैविक खेती?
इसमें रासायनिक खाद और कीटनाशकों को बाय-बाय कर दिया जाता है। उनकी जगह गोबर, केंचुआ खाद और नीम का तेल जैसे नेचुरल चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। - फायदा क्या है?
जैविक खेती से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है, फसलें सेहतमंद होती हैं, और पर्यावरण भी खुश रहता है। और हां, जैविक सब्जियां खाने से आपकी हेल्थ भी टॉप क्लास रहती है।
मध्य प्रदेश: जैविक खेती का उभरता सितारा (kisan news)
मध्य प्रदेश देश का नया जैविक सुपरस्टार बन रहा है। अभी यहां 17 लाख हेक्टेयर में जैविक खेती होती है, जो पूरे देश के जैविक उत्पादों का 40% हिस्सा देता है।
सरकार का प्लान है कि इसे 20 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाया जाए। और इसी मिशन के तहत, जैविक खेती करने वाले किसानों को तीन साल तक हर साल 5,000 रुपये प्रति हेक्टेयर दिए जाएंगे।
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सरकार के इस प्लान से किसानों को न सिर्फ आर्थिक मदद मिलेगी, बल्कि उनकी मेहनत का सही दाम भी मिलेगा। प्रमाणीकरण (सर्टिफिकेशन) के बाद जैविक उत्पादों की कीमत बढ़ जाती है, और किसान भाइयों को उनका “फसल का असली मजा” मिलता है।
जैविक खेती करने वाले किसानों के लिए खास बातें (kisan news)
जैविक खेती करने वाले किसानों के लिए यह जरूरी है कि वे रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग कम से कम करें और प्राकृतिक संसाधनों का अधिकतम उपयोग करें। जैविक खेती में गोबर की खाद, वर्मी कंपोस्ट, हरी खाद और फसल अवशेषों का उपयोग करके मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखा जा सकता है। कीट नियंत्रण के लिए प्राकृतिक उपाय जैसे नीम का तेल, जैविक कीटनाशक और मिश्रित फसल पद्धति को अपनाना चाहिए। पानी की बचत और सही प्रबंधन के लिए ड्रिप सिंचाई और वर्षा जल संचयन जैसे उपाय कारगर साबित हो सकते हैं।
देसी बीजों का उपयोग जैविक खेती में अधिक उपयुक्त होता है क्योंकि ये स्थानीय जलवायु के अनुकूल होते हैं और इनमें रासायनिक संशोधन की जरूरत नहीं पड़ती
जैविक खेती क्यों अपनाएं? (kisan news)
- मिट्टी की सेहत में सुधार:
जैविक खाद मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखती है। - लंबे समय तक फसलें:
जैविक खेती से जमीन की क्षमता बढ़ती है और यह लंबे समय तक फसल देने लायक रहती है। - कीटनाशकों का खर्च कम:
रासायनिक कीटनाशकों की जगह घरेलू तरीकों से कीटों को भगाया जा सकता है।
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