Sugarcane Variety उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में शरदकालीन गन्ना बुवाई का कार्य पूरे जोर-शोर से शुरू हो चुका है। गन्ना किसानों के लिए यह समय अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि शरदकालीन गन्ना न केवल अधिक उत्पादन देता है बल्कि किसानों को उच्च गुणवत्ता की चीनी भी मिलती है। इस वर्ष गन्ना विभाग के अधिकारी और विशेषज्ञ गांव-गांव जाकर किसानों को उन्नतिशील गन्ना प्रजातियों की बुवाई के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इसके साथ ही किसानों को गन्ना विभाग की नई योजनाओं और सहफसली खेती के फायदों के बारे में जानकारी दी जा रही है।
शरदकालीन गन्ना बुवाई: किसानों की तैयारी
जिले में शरदकालीन गन्ना बुवाई का कार्य अब तेजी से हो रहा है। गन्ना किसान उन्नतिशील गन्ना प्रजातियों के बीज का उपयोग कर बुवाई कर रहे हैं, जिससे उन्हें बेहतर फसल और अधिक लाभ मिल सके। शरदकालीन गन्ना बुवाई के तहत किसानों को ट्रेंच विधि (खड्डा विधि) से बुवाई करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, जो कि फसल की उपज बढ़ाने और उसकी गुणवत्ता में सुधार करने में मददगार साबित होती है।
ग्राम रूपपुर के किसान श्यामलाल, जो बोधी के पुत्र हैं, ने इस वर्ष गन्ना बीज सम्बर्धन प्रक्षेत्र कलीनगर से कोशा-13235 किस्म के गन्ना बीज लाकर अपनी एक एकड़ जमीन पर बुवाई की है। श्यामलाल ने ट्रेंच विधि से बुवाई की और गन्ने की पंक्तियों के बीच आलू की सहफसली खेती भी की। उन्होंने आलू की कुफरी बहार किस्म की बुवाई की है, जिससे उन्हें अतिरिक्त आमदनी की संभावना है।
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Sugarcane Variety: किसानों को किया जा रहा है जागरूक
गन्ना विभाग के अधिकारी गांव-गांव जाकर किसानों को उन्नतिशील Sugarcane Variety की जानकारी दे रहे हैं। इस वर्ष जिले में गन्ना विकास परिषद और चीनी मिलों के सहयोग से उन्नतिशील Sugarcane Variety जैसे कोशा-13235, को-15023, कोलख-14201, कोलख-16202, कोशा-18231 और कोशा-17231 को बढ़ावा दिया जा रहा है।
किसानों को सलाह दी जा रही है कि वे बुवाई के लिए इन Sugarcane Variety का चयन करें और बीज की उपलब्धता के लिए अपनी नजदीकी चीनी मिल या गन्ना विकास परिषद से संपर्क करें। साथ ही, किसानों को यह भी बताया जा रहा है कि बुवाई से पहले बीज टुकड़ों को बाविस्टीन नामक कवकनाशी के घोल से उपचारित करें और ट्राईकोडर्मा तरल को भी भूमि में मिलाकर बुवाई करें, जिससे फसल को कीटों और रोगों से सुरक्षा मिल सके।
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शरदकालीन गन्ना बुवाई का महत्व
शरदकालीन गन्ना बुवाई का किसानों के लिए विशेष महत्व है। इस मौसम में गन्ना बुवाई करने से किसानों को कई फायदे मिलते हैं। सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि शरदकालीन गन्ने की उपज अधिक होती है, जिससे किसानों की आय में बढ़ोतरी होती है। इसके अलावा, शरदकालीन गन्ने की चीनी परता भी अधिक होती है, जो मिलों के लिए फायदेमंद होती है और किसानों को समय पर भुगतान प्राप्त होता है।
साथ ही, शरदकालीन गन्ना बुवाई के साथ सहफसली खेती करने से किसानों को अतिरिक्त लाभ होता है। जैसे कि आलू, सरसों, धनिया आदि फसलों को गन्ने के साथ बोने से भूमि की उर्वरता बढ़ती है और फसल उत्पादन में सुधार होता है। यह विधि किसानों के लिए न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से फायदेमंद होती है, बल्कि यह फसल पर कीट और रोग के प्रभाव को भी कम करती है।
जिले में शरदकालीन गन्ना बुवाई का लक्ष्य
गन्ना विभाग ने इस वर्ष जिले में शरदकालीन गन्ना बुवाई के लिए 11365 हेक्टेयर का लक्ष्य रखा है। डीसीओ (जिला गन्ना अधिकारी) खुशीराम ने जानकारी दी कि जिलेभर में इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है। इसके अलावा, बरेली मंडल के अन्य जिलों में भी शरदकालीन गन्ना बुवाई के लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। बरेली मंडल के लिए कुल 38369 हेक्टेयर शरदकालीन गन्ना बुवाई का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें बरेली जिले के लिए 11335 हेक्टेयर, शाहजहांपुर के लिए 12286 हेक्टेयर, बदायूं के लिए 2417 हेक्टेयर, पीलीभीत के लिए 11365 हेक्टेयर और कासगंज के लिए 666 हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
उन्नतिशील खेती के लिए प्रेरित हो रहे किसान
गन्ना विभाग के अधिकारियों और कृषि वैज्ञानिकों के निरंतर प्रयासों से किसानों में उन्नतिशील खेती के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। किसान अब पारंपरिक खेती की बजाय उन्नतिशील किस्मों और नई तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं, जिससे उन्हें अधिक उत्पादन मिल रहा है।
इस अवसर पर डीसीओ खुशीराम, गन्ना विकास परिषद पीलीभीत के एससीडीआई रामभद्र द्विवेदी, एलएच चीनी मिल के डिप्टी केन मैनेजर सनोज कुमार, गन्ना पर्यवेक्षक मित्रपाल, शीलेन्द्र कुमार, अमन मिश्रा, रामेश्वर दयाल और अन्य अधिकारियों ने खेतों का दौरा किया और किसानों को गन्ना बुवाई की नई तकनीकों से अवगत कराया।
किसानों को प्रेरित किया जा रहा है कि वे एक आंख के टुकड़ों से बुवाई करें और बुवाई से पहले बीज को कवकनाशी के घोल में उपचारित करें। इसके साथ ही, बुवाई से पहले भूमि में ट्राईकोडर्मा तरल को मिलाने से फसल की पैदावार में सुधार होगा और उसे कीटों और रोगों से भी सुरक्षा मिलेगी।
सहफसली खेती से बढ़ेगी आमदनी
शरदकालीन गन्ना बुवाई के साथ सहफसली खेती करने से किसानों की आय में वृद्धि की संभावना है। गन्ने के साथ आलू, सरसों, धनिया, मटर, लहसुन आदि फसलों को बोने से किसान अपनी आमदनी को बढ़ा सकते हैं। सहफसली खेती न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद होती है, बल्कि यह भूमि की उर्वरता को बनाए रखने में भी मदद करती है।
सहफसली खेती से गन्ने की फसल पर कीटों और रोगों का प्रभाव कम होता है, जिससे उत्पादन में सुधार होता है। इसके अलावा, गन्ने के साथ बोई जाने वाली फसलें जल्दी तैयार हो जाती हैं, जिससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी मिलती है।
किसानों को गन्ना पर्ची मिलने का फायदा
शरदकालीन गन्ना बुवाई का एक और महत्वपूर्ण लाभ यह है कि किसानों को गन्ना पर्ची पहले मिल जाती है। इससे उन्हें समय पर गन्ना मिलों में सप्लाई करने का मौका मिलता है और उन्हें भुगतान भी समय पर मिल जाता है।
किसानों को गन्ना विभाग और चीनी मिलों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, ताकि उन्हें समय पर गन्ना पर्ची मिल सके और वे अपने गन्ने की बिक्री सही समय पर कर सकें। इससे किसानों को न केवल आर्थिक लाभ होगा, बल्कि उन्हें अपनी फसल के बेहतर मूल्य भी मिल सकेंगे।
शरदकालीन गन्ना बुवाई में सरकारी योजनाओं का सहयोग
गन्ना विभाग द्वारा किसानों को शरदकालीन गन्ना बुवाई के लिए कई सरकारी योजनाओं का भी लाभ दिया जा रहा है। इन योजनाओं के तहत किसानों को उन्नत किस्मों के बीज, खाद, कीटनाशक, और अन्य कृषि उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है।
सरकार किसानों को शरदकालीन गन्ना बुवाई के साथ सहफसली खेती करने के लिए भी प्रोत्साहित कर रही है। किसानों को इस संबंध में प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे वे बेहतर तरीके से खेती कर सकें और अपनी आय में वृद्धि कर सकें।
जिले में शरदकालीन गन्ना बुवाई का कार्य तेजी से चल रहा है और गन्ना विभाग के अधिकारी और विशेषज्ञ किसानों को उन्नतिशील खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं। किसानों को नई तकनीकों और उन्नत किस्मों के बीज का उपयोग करने की सलाह दी जा रही है, जिससे उन्हें बेहतर पैदावार और अधिक आय प्राप्त हो सके।