यहाँ के किसान गन्ना फसल से क्यों बना रहे है दूरी,आओ जानते है
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आंध्र प्रदेश में गन्ने की खेती में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है, और भविष्य में इसकी खेती में और कमी आने की संभावना है।
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2014 के बाद से राज्य में गन्ने की खेती में कोई सुधार नहीं देखा गया है, जिससे किसानों की समस्याएँ बढ़ती जा रही हैं।
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गन्ने की खेती के लिए आवश्यक इनपुट लागत जैसे बीज, उर्वरक, और सिंचाई की लागत बढ़ती जा रही है, जो किसानों के लिए खेती को महंगा बना रही है।
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किसानों को मजदूरों की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जो गन्ने की खेती में एक बड़ी बाधा साबित हो रही है।
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राज्य में कई चीनी मिलों के बंद होने के कारण गन्ने की बिक्री में कठिनाई हो रही है, जिससे किसान अन्य फसलों की ओर रुख कर रहे हैं।
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2014 में आंध्र प्रदेश में 1.25 लाख हेक्टेयर में गन्ने की खेती की गई थी, लेकिन अब इस क्षेत्र में गिरावट आई है।
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उत्तरी तटीय क्षेत्र आंध्र प्रदेश (एनसीएपी) एक प्रमुख गन्ना उत्पादक क्षेत्र था, लेकिन अब यहाँ भी गन्ने की खेती में कमी आई है।
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बढ़ती इनपुट लागत और अन्य समस्याओं के कारण कई गन्ना उत्पादक अब धान, मक्का और दालों की खेती की ओर ध्यान दे रहे हैं।
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