Up Cane: गन्ना सीजन शुरू होने वाला, गन्ना रेट का पता नहीं

Up Cane: गन्ना सीजन शुरू होने वाला, गन्ना रेट का पता नहीं

Up Cane: ललौरीखेड़ा में भारतीय किसान यूनियन (भानु गुट) की ब्लॉक स्तरीय मासिक पंचायत संपन्न हुई। इस पंचायत की अध्यक्षता ब्लॉक अध्यक्ष सुखलाल गंगवार ने की, जिसमें किसानों से जुड़ी विभिन्न समस्याओं पर गहन चर्चा की गई। किसानों के सामने कई मुद्दे रखे गए, जिनमें आवारा पशुओं का आतंक और गन्ना मूल्य का निर्धारण शामिल है। गन्ना पेराई सत्र 2024-25 शुरू होने को है, लेकिन अब तक सरकार ने गन्ना का उचित मूल्य तय नहीं किया है, जिससे किसानों में भारी असमंजस और चिंता का माहौल बना हुआ है।

Up Cane
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गन्ना सीजन की तैयारी, लेकिन गन्ना मूल्य का कोई संकेत नहीं Up Cane

पंचायत में ब्लॉक अध्यक्ष सुखलाल गंगवार ने बताया कि गन्ना पेराई सत्र नजदीक आ चुका है, लेकिन किसानों को अब तक यह पता नहीं है कि उनका गन्ना किस भाव में बिकेगा। सरकार की ओर से गन्ना मूल्य निर्धारित नहीं किए जाने पर नाराजगी जताई गई। उन्होंने कहा कि गन्ने का उत्पादन लागत पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ी है, और इसी के अनुसार गन्ने का मूल्य 400 से 450 रुपये प्रति कुंतल होना चाहिए। लेकिन सरकार अब तक इस पर कोई निर्णय नहीं ले पाई है, जिससे किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

Sugarcane Rate

राज्यगन्ना की किस्मप्रस्तावित/अनुमानित दर (रुपये प्रति क्विंटल)
उत्तर प्रदेशसामान्य350-360
उत्तर प्रदेशउन्नत360-370
पंजाबसभी किस्में380-390
हरियाणासभी किस्में370-380
महाराष्ट्रसामान्य3,050 (प्रति टन)
महाराष्ट्रउन्नत3,150 (प्रति टन)
कर्नाटकसामान्य3,100 (प्रति टन)
तमिलनाडुसभी किस्में3,150-3,200 (प्रति टन)

गन्ना किसान, जो पूरे साल कड़ी मेहनत करते हैं, उन्हें उनके उत्पाद का उचित मूल्य न मिलना किसी धोखे से कम नहीं है। हर साल की तरह इस साल भी गन्ना किसान अपनी फसलों को तैयार कर चुके हैं, लेकिन सरकार की तरफ से स्पष्टता न होने के कारण उनका भविष्य अनिश्चित दिख रहा है।

आवारा पशुओं का आतंक, किसानों की फसलें खतरे में Up Cane

बैठक में किसानों की एक और बड़ी समस्या पर ध्यान दिलाया गया – आवारा पशुओं का आतंक। यह समस्या ललौरीखेड़ा ब्लॉक की सभी पंचायतों में देखी जा रही है। आवारा पशु फसलों को नष्ट कर रहे हैं, जिससे किसानों की मेहनत और उनकी आजीविका पर गंभीर असर पड़ रहा है। किसानों ने मांग की कि इन आवारा पशुओं को पशुशालाओं में रखा जाए ताकि फसलों को सुरक्षित रखा जा सके। सुखलाल गंगवार ने कहा कि आवारा पशुओं का नियंत्रण आवश्यक है, नहीं तो किसानों को बहुत बड़े नुकसान का सामना करना पड़ेगा।Up Cane

आवारा पशु, जो खेतों में घुसकर फसलें चबा जाते हैं, उनके कारण गन्ने के साथ-साथ अन्य फसलें भी पूरी तरह से नष्ट हो रही हैं। सरकार की तरफ से कोई ठोस कदम न उठाए जाने पर किसानों में काफी गुस्सा है। पंचायत में उपस्थित किसानों ने इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई की मांग की।

गन्ना किसानों का संघर्ष और सरकार की नीतियों पर सवाल

तहसील अध्यक्ष नंदकिशोर राठौर ने कहा कि सरकार ने अब तक गन्ना किसानों की स्थिति को गंभीरता से नहीं लिया है। हर साल सरकार किसानों के साथ यही व्यवहार करती है। गन्ना पेराई सत्र से पहले गन्ने के मूल्य का निर्धारण न होने से किसान अपने उत्पाद का सही मूल्य पाने से वंचित रह जाते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को गन्ने के मूल्य का निर्धारण समय पर करना चाहिए ताकि किसान अपनी फसल को उचित दाम पर बेच सकें।Up Cane

राठौर ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह किसानों के साथ धोखा कर रही है। गन्ने की लागत हर साल बढ़ती जा रही है, लेकिन उसके बावजूद किसानों को उचित मूल्य नहीं दिया जा रहा। उन्होंने कहा कि इस साल गन्ने का मूल्य 400-450 रुपये प्रति कुंतल होना चाहिए ताकि किसान अपनी लागत निकाल सकें और कुछ मुनाफा भी कमा सकें।Up Cane

मुख्यमंत्री आवास योजना के लाभ से वंचित किसान

जिलाध्यक्ष भजनलाल क्रोधी ने पंचायत में मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत पात्र परिवारों को लाभ न मिलने पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि ललौरीखेड़ा ब्लॉक की सभी पंचायतों में उन परिवारों को चिन्हित किया जाना चाहिए जो इस योजना का लाभ पाने के पात्र हैं, लेकिन अब तक उन्हें कोई सुविधा नहीं मिली है।Up Cane

भजनलाल ने सरकार से अपील की कि वह सभी ग्राम पंचायतों में पात्र परिवारों की सूची तैयार करे और उन्हें इस योजना का लाभ दिलाए। पंचायत में यह मुद्दा गंभीरता से उठाया गया और किसानों ने इस पर भी जोर दिया कि गरीब किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ तुरंत मिले।

गन्ना उत्पादन में बढ़ती लागत और सरकार की उदासीनता

गन्ना किसानों के सामने एक और बड़ी समस्या यह है कि गन्ना उत्पादन की लागत लगातार बढ़ रही है। बीज, खाद, सिंचाई और अन्य आवश्यकताओं की कीमतों में वृद्धि हो रही है, लेकिन गन्ने का मूल्य वही पुराना बना हुआ है। सरकार ने अभी तक इस पर ध्यान नहीं दिया है कि किसानों को उनके मेहनत का सही मूल्य मिलना चाहिए।Up Cane

गन्ना उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले बीज और उर्वरकों की कीमतें पिछले कुछ वर्षों में दोगुनी हो चुकी हैं। सिंचाई की लागत भी बढ़ गई है, क्योंकि जल स्रोतों की कमी और बिजली की अनियमितता ने किसानों के खर्चों में इजाफा किया है।

सहकारी गन्ना मिलों की स्थिति और किसानों की मांगें

बैठक में सहकारी गन्ना मिलों की स्थिति पर भी चर्चा की गई। किसानों का कहना है कि मिलों में गन्ने का भुगतान समय पर नहीं होता, जिससे उन्हें आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। मिलों की ओर से कई बार भुगतान में देरी होती है, और जब तक किसान को पैसे मिलते हैं, तब तक उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो जाती है।Up Cane

किसानों ने मांग की है कि सहकारी गन्ना मिलें समय पर भुगतान करें और गन्ने के उचित मूल्य का निर्धारण हो। इससे किसानों को राहत मिलेगी और वे अपनी फसलों का उत्पादन बेहतर ढंग से कर सकेंगे।Up Cane

गन्ने के उत्पादन में किसानों की मेहनत

गन्ना एक ऐसी फसल है, जिसकी खेती में किसानों को पूरे साल कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। गन्ना बोने से लेकर उसकी कटाई तक का समय लंबा होता है और इस दौरान किसान को हर मौसम की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। वर्षा, सूखा, कीटों का प्रकोप जैसी समस्याएं गन्ना किसानों की आम समस्याएं हैं।

फिर भी, गन्ना किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य न मिलना निराशाजनक है। सरकार को किसानों की इस मेहनत का सम्मान करना चाहिए और उन्हें उनके उत्पादन का सही दाम देना चाहिए।

सरकार से अपील

पंचायत के अंत में किसानों ने सरकार से अपील की कि वह गन्ने का उचित मूल्य जल्द से जल्द निर्धारित करे। इससे किसानों को गन्ना पेराई सत्र शुरू होने से पहले अपने भविष्य की योजना बनाने में आसानी होगी। किसानों ने कहा कि अगर सरकार समय पर गन्ने का मूल्य तय नहीं करती, तो उन्हें आंदोलन का सहारा लेना पड़ेगा।

गन्ना किसानों की मांग स्पष्ट है – उन्हें उनकी मेहनत का सही मूल्य मिलना चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह किसानों की समस्याओं को गंभीरता से ले और जल्द से जल्द गन्ने का उचित मूल्य घोषित करे ताकि किसानों को राहत मिल सके और वह अपनी फसल का उत्पादन बिना किसी चिंता के कर सकें।


इस पंचायत में राम गोपाल प्रजापति, बाल मुकुंद प्रजापति, राम बहादुर, महेंद्र पाल कश्यप, सुरेश कुमार पासवान, शीशपाल पाल, पूरनलाल मौर्य, डालचंद मौर्य, मदनलाल समेत अन्य किसानों ने भाग लिया। सभी ने एक सुर में सरकार से गन्ना मूल्य निर्धारण की मांग की और किसानों की समस्याओं को हल करने की अपील की।

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