Sugarcane News: धान की खरीफ फसल काटने के बाद किसान अब शरदकालीन गन्ने की बुवाई कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिकों ने किसानों को गन्ना बुवाई को लेकर कुछ सावधानियां बरतने का सुझाव दिया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर बुवाई के समय कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो गन्ने में रोग नहीं लगेंगे और कम लागत में अच्छा उत्पादन भी मिलेगा।
उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिक अधिकारी श्री प्रकाश यादव ने बताया कि शरदकालीन गन्ने की बुवाई के लिए यह समय बहुत उपयुक्त है। किसानों को खेत की गहरी जुताई करके उसे तैयार करना होगा। इसके बाद नाली बनाकर उसमें प्रति हेक्टेयर 10 टन सड़ी हुई गोबर की खाद डालनी होगी। इसके बाद सिंगल बड विधि से गन्ना बोया जा सकता है। सिंगल बड विधि से बुवाई में 10 से 12 क्विंटल गन्ना बीज की आवश्यकता होगी, जबकि दो आंख वाला गन्ना बोने पर प्रति हेक्टेयर 65 से 70 क्विंटल बीज की खपत होगी। डॉ. श्री प्रकाश यादव ने बताया कि एक हेक्टेयर में 25000 गन्ने के पौधे लगाए जाने हैं। इस दौरान ध्यान रखना होगा कि लाइनों के बीच की दूरी करीब 4 फीट से कम न हो और 20 सेंटीमीटर तक की गहराई पर बुवाई की जाए, जिससे गन्ने का अंकुरण अच्छा होगा।
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Sugarcane News सह-फसल होगी मददगार
श्री प्रकाश यादव का कहना है कि गन्ने के साथ सह-फसल भी की जा सकती है। सह-फसल करने से किसानों को गन्ने की लागत का एक बड़ा हिस्सा सह-फसल से मिल जाता है। गन्ने की फसल तैयार करने में किसानों को काफी आर्थिक मदद मिलती है। किसान आलू, लहसुन, सरसों, मटर और राजमा को भी सह-फसल के रूप में उगा सकते हैं।
संतुलित मात्रा में उर्वरक का प्रयोग करें
वैज्ञानिक श्री प्रकाश यादव ने बताया कि गन्ने की फसल की बुवाई से पहले मिट्टी की जांच कराएं और जरूरत के हिसाब से उर्वरकों का प्रयोग करें, लेकिन अगर मिट्टी की जांच नहीं हुई है तो गन्ने की बुवाई के दौरान किसानों को प्रति हेक्टेयर 100 किलोग्राम यूरिया और 500 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट का प्रयोग करना होगा। इसके अलावा 100 किलो एमओपी, 25 किलो जिंक सल्फेट और 25 किलो रिएजेंट का प्रयोग करें। इन सभी खादों को कूड़े में डालने के बाद मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें।
जैविक खादों का भी प्रयोग करें
श्री प्रकाश यादव ने बताया कि जैविक और रासायनिक खादों के साथ जैविक खादों का प्रयोग करना बहुत जरूरी है। गन्ने की बुवाई के समय 5 किलो ब्यूवेरिया बेसियाना मेटाराइजियम एनिसोप्लिए प्रति हेक्टेयर और 10 किलो पीएसबी (फास्फोरस सॉल्यूबिलाइजिंग बैक्टीरिया) प्रति हेक्टेयर और 10 किलो एजोटोबैक्टर का प्रयोग करें। इसके बाद जैविक खादों को मिट्टी में मिला दें और एक या दो कली वाले गन्ने के बीजों को कूड़े में रखकर 5 सेमी तक मिट्टी की परत से ढक दें। 20 से 25 दिन बाद गन्ना पूरी तरह अंकुरित हो जाएगा और करीब एक महीने बाद गन्ने में हल्की सिंचाई करें। सिंचाई के समय करीब 70 किलो यूरिया प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें।