गन्ना किसान की मुश्किलें बढ़ीं, हरियाणा में नया संकट क्या है?

गन्ना किसान की मुश्किलें बढ़ीं, हरियाणा में नया संकट क्या है?

हरियाणा के गन्ना किसान एक बार फिर मुश्किलों में हैं। इस बार समस्या की जड़ है गन्ना पेराई सत्र का समय पर शुरू न होना। शाहाबाद सहकारी चीनी मिल, जो कुरुक्षेत्र जिले की प्रमुख चीनी मिल है, अभी तक चालू नहीं हुई है। किसानों के लिए यह एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है क्योंकि गन्ना काटने के बाद गेहूं की बुआई का सही समय बीतता जा रहा है।

गन्ना किसान की मुश्किलें बढ़ीं, हरियाणा में नया संकट क्या है?
गन्ना किसान की मुश्किलें बढ़ीं, हरियाणा में नया संकट क्या है?

गन्ना पेराई सत्र में देरी से क्यों बढ़ी गन्ना किसान की परेशानी?

हरियाणा में गन्ने के बाद गेहूं बोने का काम एक तय समय पर किया जाता है। अगस्त की गर्मी और नवंबर की ठंडी के बीच, किसान खेतों में पूरे जोश से काम करते हैं। लेकिन इस साल चीनी मिलों का लेट-लतीफ रवैया उनके सपनों पर पानी फेरने की तैयारी में है।

  • गेहूं की बुआई का सही समय: कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि गेहूं की बुआई के लिए 10 से 25 नवंबर का समय सबसे उपयुक्त होता है।
  • चीनी मिल चालू होने में देरी: 2022 में पेराई सत्र 15 नवंबर को शुरू हुआ था, जबकि पिछले साल बाढ़ के कारण यह 23 नवंबर को चालू हुआ। इस साल भी 15 नवंबर तक शुरू होने की बात कही गई थी, लेकिन मिलें अब तक बंद हैं।

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फसल पर कीटों का हमला: कष्ट पर कष्ट!

इस बार गन्ना किसान की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं होतीं। किसानों की फसल पर टॉप बोरर, पोक्का बोंग, और रूट बोरर जैसे कीटों ने हमला कर दिया।

  • कीटनाशकों पर खर्चा: इन कीटों से निपटने के लिए किसानों ने कीटनाशकों पर काफी खर्च किया।
  • समस्या समय पर दवाओं की उपलब्धता की: हरकेश बताते हैं कि “दवाएं भी समय पर नहीं मिलीं। जब मिलीं, तब तक कीड़े पूरी पार्टी मना चुके थे।”
  • उत्पादन घटा: खर्च बढ़ने के बावजूद, उत्पादन में गिरावट आई है।

चीनी मिलें क्यों नहीं चालू हो रहीं?

मिल संचालक समय पर मिलें शुरू न करने के लिए तमाम बहाने देते हैं। कहीं मशीनरी की मरम्मत, कहीं सरकार से अनुदान का इंतजार।

हरियाणा के किसानों की स्थिति पर एक नजर (तालिका)

समस्याप्रभावसमाधान की मांग
चीनी मिलों की देरीगेहूं की बुआई में देरी, कम उत्पादनचीनी मिलें तुरंत शुरू हों
कीट प्रकोपउत्पादन में गिरावट, लागत में वृद्धिसमय पर दवाओं की आपूर्ति
सरकारी सहायता में कमीआर्थिक संकटसब्सिडी और मुआवजा

गेहूं की बुआई में देरी का असर क्या होगा?

अगर गेहूं की बुआई में देरी हुई, तो इसका असर केवल किसानों पर ही नहीं, बल्कि पूरे देश की खाद्य सुरक्षा पर पड़ सकता है।

  • कम उत्पादन: गेहूं देरी से बोया जाएगा तो इसकी पैदावार कम होगी।
  • खाद्य संकट का खतरा: देश में गेहूं की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है।
  • किसानों की आर्थिक स्थिति: किसानों के लिए ये दोहरा नुकसान है—पहले गन्ना और फिर गेहूं।

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सरकार और प्रशासन क्या कर रहे हैं?

सरकार और प्रशासन के पास किसानों के लिए योजनाओं की लंबी लिस्ट है। लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही कहती है।

  1. मुआवजे की मांग: किसानों ने सरकार से कीटों के कारण हुए नुकसान का मुआवजा मांगा है।
  2. मिलों को चालू करने का दबाव: किसान संगठनों ने चीनी मिलों पर जल्दी से जल्दी पेराई सत्र शुरू करने के लिए दबाव बनाया है।
  3. दवा आपूर्ति पर जोर: किसानों ने मांग की है कि कीटनाशकों और दवाओं की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।

किसानों के लिए क्या हो सकते हैं विकल्प?

अगर सरकार और मिल संचालक तुरंत कदम नहीं उठाते, तो किसानों को खुद ही अपने हितों की रक्षा करनी होगी।

  • समय पर मिल चालू कराने के लिए प्रदर्शन।
  • वैकल्पिक फसल उगाने पर विचार।
  • सरकार से सीधे संवाद।

हरियाणा के गन्ना किसान कब तक सहेंगे?

गन्ना किसान की समस्याएं साल दर साल बढ़ती जा रही हैं। कभी बाढ़, कभी सूखा, और अब मिलों की देरी। किसानों को हर बार सिर्फ वादों का सहारा दिया जाता है।

निष्कर्ष

हरियाणा के गन्ना किसान के लिए यह समय बेहद कठिन है। चीनी मिलों की देरी से न केवल उनकी गेहूं की फसल प्रभावित हो रही है, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति भी डगमगा रही है। जरूरत है कि सरकार और प्रशासन किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लें और समय पर समाधान करें।

FAQs

  1. हरियाणा में गन्ना पेराई सत्र में देरी क्यों हो रही है?
    चीनी मिलों में मशीनरी की मरम्मत और प्रशासनिक प्रक्रियाओं के कारण देरी हो रही है।
  2. गेहूं की बुआई का सही समय क्या है?
    गेहूं की बुआई के लिए 10 से 25 नवंबर का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है।
  3. किसानों को इस देरी से क्या नुकसान होगा?
    गेहूं की पैदावार कम होगी, और उनकी आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ेगा।
  4. सरकार किसानों की मदद के लिए क्या कर रही है?
    सरकार ने मुआवजा और दवाओं की आपूर्ति का आश्वासन दिया है, लेकिन अभी तक ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
  5. किसानों की समस्याओं का समाधान कैसे हो सकता है?
    चीनी मिलों को तुरंत चालू करना, समय पर दवाओं की आपूर्ति और मुआवजा प्रदान करना समस्याओं का समाधान हो सकता है।

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