Farmers Protest: किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट की नजर, कल होगी बड़ी सुनवाई

Farmers Protest: किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट की नजर, कल होगी बड़ी सुनवाई

Farmers Protest” शंभू बॉर्डर पर डटे किसानों का जत्था आज वापस लौट चुका है, लेकिन इस बीच एक बड़ी खबर सामने आई है। किसान आंदोलन का मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। सोमवार को इस मामले में कोर्ट सुनवाई करेगा। सवाल यह है कि क्या किसानों का मार्च अब दिल्ली तक पहुंचेगा या आंदोलन को नया मोड़ मिलेगा?

Farmers Protest
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शंभू बॉर्डर से किसानों का जत्था लौटा

किसानों ने आज शंभू बॉर्डर पर सरकार की भारी सुरक्षा व्यवस्था का सामना किया। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने बताया कि दोपहर 12 बजे से लेकर 3:45 तक दिल्ली की ओर बढ़ने की कोशिश की गई, लेकिन सुरक्षा प्रबंधों के चलते वे आगे नहीं बढ़ सके।”

सुप्रीम कोर्ट में बड़ी सुनवाई Farmers Protest

सुप्रीम कोर्ट में पहले एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें शंभू बॉर्डर और अन्य हाईवे खोलने के लिए केंद्र, पंजाब और हरियाणा सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी। किसानों के विरोध प्रदर्शन और हाईवे बंद होने के कारण जनता को होने वाली असुविधा को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को प्राथमिकता दी है। सोमवार को अदालत में सुनवाई के दौरान दोनों पक्ष अपनी बात रखेंगे।

सरवन सिंह पंधेर का बयान

प्रेस वार्ता में किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि सरकार उनकी छवि खराब करने की कोशिश कर रही है।
“हमें तालिबानी और खालिस्तानी कहकर बदनाम किया जा रहा है। मीडिया को खालिस्तानी मीडिया तक कहा गया। यह सरकार का दोगला चेहरा है एक तरफ फूल और दूसरी तरफ आंसू गैस के गोले,” उन्होंने आरोप लगाया। Farmers Protest

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उन्होंने यह भी बताया कि 6 किसान घायल हुए हैं, जिनमें से कुछ को भर्ती कराना पड़ा। घायल किसानों के नाम हैं: रेशम सिंह, दिलबाग सिंह, मेजर सिंह, हरभजन सिंह, और कुवेंद्र सिंह।

क्या कल दिल्ली की ओर बढ़ेंगे किसान?

किसान संगठनों ने स्पष्ट कर दिया है कि सोमवार को दिल्ली कूच नहीं किया जाएगा।
“कल शाम को मीटिंग होगी, जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी,” पंधेर ने कहा। दिल्ली पहुंचने की कोशिश को फिलहाल रोक दिया गया है, लेकिन आंदोलन की आग धीमी होने के बजाय और भड़कती दिख रही है। Farmers Protest

आंसू गैस और फूलों का खेल

किसानों ने पुलिस द्वारा इस्तेमाल किए गए आंसू गैस के गोले भी दिखाए, जिन पर लिखा था, “सीधे इंसानों पर फायर न किया जाए।” यह दृश्य सरकार की नीयत पर गंभीर सवाल खड़े करता है। किसानों का आरोप है कि सरकार उनके शांतिपूर्ण मार्च को षड्यंत्र के तहत हिंसक दिखाने की कोशिश कर रही है।Farmers Protest

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सरकार और किसान: किसकी नीयत पर सवाल?

सरकार जहां किसानों के खिलाफ सख्त रुख अपनाए हुए है, वहीं किसानों का कहना है कि उनकी मांगें पूरी करने के बजाय उन्हें बदनाम किया जा रहा है।Farmers Protest
सरवन सिंह ने कहा, “यह सरकार हमें कुछ देना नहीं चाहती। हमारी मांगें पूरी करना उनके एजेंडे में नहीं है।”

क्या आंदोलन को नया मोड़ मिलेगा?

किसान आंदोलन का यह मोड़ बेहद महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से यह स्पष्ट हो सकता है कि सरकार और किसानों के बीच का गतिरोध कितना लंबा खिंचेगा। क्या अदालत का फैसला किसानों के पक्ष में होगा? या फिर प्रदर्शनकारियों को और लंबी लड़ाई लड़नी पड़ेगी?

आशा करते हैं कि दोनों पक्ष एक समाधान पर पहुंचें और किसानों की मेहनत का सही मूल्यांकन हो। आंदोलन की यह कहानी न केवल संघर्ष की है, बल्कि सरकार और जनता के बीच संवाद की परीक्षा भी है।

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