बड़ी खुशखबरी: गन्ना किसानों के लिए राहत भरा फैसला, कीमतों में 8% इजाफा-caneup.in

बड़ी खुशखबरी: गन्ना किसानों के लिए राहत भरा फैसला, कीमतों में 8% इजाफा-caneup.in

caneup.in: केंद्र सरकार ने किसानों के हित में एक और बड़ा कदम उठाया है। बुधवार को कैबिनेट की बैठक में गन्ना खरीद की कीमत में 8% की बढ़ोतरी को मंजूरी दी गई। इस फैसले के तहत गन्ना किसानों को अब 315 रुपये प्रति क्विंटल की जगह 340 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भुगतान किया जाएगा। 25 रुपये की यह बढ़ोतरी किसानों के लिए राहत लेकर आई है, खासकर तब जब देश के कई हिस्सों में किसान आंदोलन तेज हो रहे हैं।

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फैसले की बड़ी बातें caneup.in

  1. नई कीमतें:
    सरकार ने गन्ने की खरीदारी कीमत में 25 रुपये की बढ़ोतरी की है, जो अब 340 रुपये प्रति क्विंटल होगी।
  2. कृषि कल्याण पर जोर:
    केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि मोदी सरकार किसानों की आमदनी बढ़ाने और उनकी समस्याओं को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है।
  3. किसानों के खातों में सीधी रकम:
    पिछले चार सालों में गन्ना किसानों को उनकी फसल का कुल भुगतान 1.95 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है।

किसानों के लिए क्या मायने रखता है यह फैसला?

यह फैसला केवल कीमतों में बढ़ोतरी तक सीमित नहीं है। इसका सीधा असर लाखों किसानों की आर्थिक स्थिति पर पड़ेगा।

  • मुनाफे में बढ़ोतरी: गन्ना किसानों को उनकी उपज का अब बेहतर मूल्य मिलेगा, जिससे उनकी आय में सुधार होगा।
  • कर्ज पर नियंत्रण: बढ़ी हुई कीमतें किसानों को अपने कर्ज चुकाने और अन्य आर्थिक जरूरतें पूरी करने में मदद करेंगी।
  • आंदोलन को राहत: इस फैसले से गन्ना किसानों के आंदोलन की तीव्रता कम होने की संभावना है।caneup.in

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अनुराग ठाकुर का बयान: 2014 से पहले और अब की स्थिति में अंतर

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा,
“2014 से पहले किसानों को अपने हक के लिए सड़कों पर उतरना पड़ता था। खाद से लेकर गन्ने की कीमत तक, हर चीज के लिए उन्हें इंतजार करना पड़ता था। लेकिन मोदी सरकार ने इन सभी समस्याओं को सुलझाने का काम किया है।”caneup.in

उन्होंने यह भी बताया कि 2019-20 में किसानों को 75,854 करोड़ रुपये, 2020-21 में 93,011 करोड़ रुपये, और 2021-22 में 1.28 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। यह रकम सीधे उनके खातों में भेजी गई।

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किसानों की प्रतिक्रिया: बढ़ोतरी तो हुई, पर काफी नहीं!

हालांकि यह फैसला किसानों के लिए राहत लेकर आया है, लेकिन कई किसान इसे पर्याप्त नहीं मानते।
एक किसान ने मजाक में कहा,
“सरकार ने गन्ने के दाम में मिठास बढ़ाई है, लेकिन हमारी चाय अभी भी फीकी है।”

कुछ किसानों का कहना है कि खर्च और महंगाई के हिसाब से यह बढ़ोतरी ज्यादा नहीं है।

  • खाद, बीज और डीजल के बढ़ते दाम के कारण उत्पादन लागत लगातार बढ़ रही है।
  • उन्हें उम्मीद है कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को और बढ़ाएगी।

किसानों के आंकड़े और सरकार का दावा

सालकुल भुगतान (करोड़ रुपये)
2019-2075,854
2020-2193,011
2021-221.28 लाख
2022-231.95 लाख

अनुराग ठाकुर ने कहा कि ये सारे पैसे सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजे गए हैं, जिससे बिचौलियों की भूमिका खत्म हुई है।

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गन्ना उद्योग और बढ़ती जरूरतें

गन्ना सिर्फ किसानों की ही नहीं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

  • चीनी उत्पादन: भारत दुनिया के सबसे बड़े चीनी उत्पादकों में से एक है।
  • रोजगार: गन्ना खेती और उससे जुड़े उद्योग लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं।
  • निर्यात: गन्ना आधारित उत्पादों का निर्यात भारत की विदेशी मुद्रा आय में भी योगदान देता है।

महंगाई और उत्पादन लागत का मुद्दा

किसानों का कहना है कि गन्ना उत्पादन की लागत पिछले कुछ सालों में दोगुनी हो गई है।

  • डीजल, खाद और श्रम लागत में वृद्धि।
  • सिंचाई और रखरखाव में ज्यादा खर्च।
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में अपेक्षित बढ़ोतरी नहीं।

किसानों की मांग: और सुधार की जरूरत

इस फैसले के बावजूद किसानों ने सरकार से कुछ और सुधारों की मांग की है:

  1. एमएसपी की समीक्षा: उत्पादन लागत और महंगाई को ध्यान में रखते हुए एमएसपी तय हो।
  2. समय पर भुगतान: गन्ना किसानों को उनके फसल का भुगतान बिना देरी के मिले।
  3. कर्ज माफी: छोटे और मझोले किसानों के कर्ज माफ किए जाएं।

मोदी सरकार के लिए यह फैसला कितना फायदेमंद?

यह कदम किसानों के लिए राहत और सरकार के लिए एक बड़ा राजनीतिक दांव है।

  • किसान आंदोलन पर असर: गन्ना किसानों के गुस्से को कम करने में यह फैसला अहम भूमिका निभा सकता है।
  • आम चुनाव की तैयारी: यह फैसला सरकार की किसानों के प्रति प्रतिबद्धता दिखाने के लिए लिया गया है। caneup.in

गन्ना खरीद की कीमत में बढ़ोतरी: क्या यह पर्याप्त है?

सरकार ने गन्ना किसानों को राहत देने के लिए यह कदम उठाया है, लेकिन इसके दूरगामी प्रभाव पर नजर रखना जरूरी है।

  • अगर किसानों को समय पर भुगतान नहीं हुआ, तो यह फैसला बेअसर हो सकता है।
  • महंगाई को देखते हुए भविष्य में और सुधार की जरूरत होगी।

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