Cane Up, भारत के प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों में से एक, गन्ने की खेती और इससे प्राप्त होने वाले उत्पादों के लिए बेहद महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यहाँ का गन्ना उद्योग न केवल चीनी उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि इसके इथेनॉल और गुड़ जैसे उपोत्पाद भी राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। हाल के वर्षों में, गन्ने के सही मूल्य को लेकर किसानों और चीनी मिलों के बीच लगातार विवाद होते रहे हैं।
उत्तर प्रदेश का गन्ना उत्पादन (Cane Up)
उत्तर प्रदेश में लगभग 50 लाख किसान परिवार सीधे तौर पर गन्ने की खेती और इससे जुड़े उद्योगों से जुड़े हैं। राज्य में कुल 120 चीनी मिलों में से 93 मिलें निजी क्षेत्र में हैं, जिससे यह क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। चीनी मिलों के साथ किसानों के व्यापारिक रिश्ते समय-समय पर विभिन्न मुद्दों को लेकर तनावपूर्ण रहते हैं, जिनमें गन्ने की उचित कीमत और भुगतान में देरी प्रमुख हैं।
गन्ना मूल्य निर्धारण में आईसीआरए की भूमिका
आईसीआरए लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और समूह प्रमुख (कॉरपोरेट रेटिंग) गिरीश कुमार कदम ने बताया कि 2023-2024 में गन्ने के मूल्य में जो वृद्धि देखी गई है, वह उद्योग की अपेक्षाओं के अनुरूप है। उनका कहना है कि चीनी उत्पादन लागत में प्रति किलोग्राम 1.7 रुपये की वृद्धि होगी, जो गन्ने के मूल्यों पर सीधा असर डालेगी। इसका सीधा अर्थ है कि किसानों को अधिक मूल्य मिल सकता है, लेकिन चीनी मिलों पर भी दबाव बढ़ेगा।Cane Up
Also Raed…Cane up.in दिवाली से पहले योगी सरकार ने गन्ना किसानों को दिया बड़ा तोफा
आईसीआरए की रिपोर्ट के अनुसार, घरेलू चीनी की कीमतों में मजबूती के चलते यूपी में चीनी मिलों की लाभप्रदता बनी रहेगी। उदाहरण के तौर पर, दिसंबर 2023 तक चीनी की कीमतें 38-38.5 रुपये प्रति किलोग्राम थीं, जिससे यह संकेत मिलता है कि मिलों को गन्ने के अधिक दाम चुकाने में मुश्किलें नहीं आएंगी।
किसानों को गन्ने का सही मूल्य मिलने की चुनौतियाँ
हालांकि गन्ने की कीमतों में वृद्धि किसानों के लिए लाभकारी है, लेकिन सही मूल्य निर्धारण में कई चुनौतियाँ भी सामने आती हैं। इनमें प्रमुख हैं:Cane Up
- चीनी मिलों द्वारा भुगतान में देरी: किसानों को अक्सर गन्ने की फसल के लिए समय पर भुगतान नहीं मिलता, जिससे वे आर्थिक रूप से कमजोर हो जाते हैं। इस स्थिति को सुधारने के लिए राज्य सरकार को सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।
- मूल्य निर्धारण का असमान ढांचा: गन्ने के मूल्य निर्धारण का कोई निश्चित मानक नहीं है, और यह मिलों की मर्जी पर निर्भर होता है कि वे किसानों को कितना मूल्य देंगी।
- निजी और सहकारी मिलों में अंतर: उत्तर प्रदेश में 93 निजी चीनी मिलों के साथ-साथ 24 सहकारी और 3 यूपी राज्य चीनी निगम की मिलें भी हैं। इन तीनों में मूल्य निर्धारण और किसानों के प्रति नीतियाँ अलग-अलग हो सकती हैं, जिससे किसानों को उचित मूल्य प्राप्त करने में कठिनाई हो सकती है।
गन्ना मूल्य निर्धारण पर सरकार की भूमिका
राज्य सरकारें और केंद्र सरकारें दोनों ही गन्ने के मूल्य निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। गन्ने का मूल्य तय करने के लिए सरकारें गन्ना मूल्य नीति (SAP) लागू करती हैं, जो हर साल संशोधित होती है।
Also Read..Cane Up: गन्ने की फसल में खरपतवार से छुटकारा पाने के आसान उपाय
साल 2023-2024 में भी गन्ने का मूल्य SAP के तहत तय किया गया, जो 340 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास है। हालांकि, किसानों की मांग इससे अधिक थी और वे 400 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भुगतान की माँग कर रहे थे।
सरकार द्वारा निर्धारित SAP, मिलों पर लागू होता है, लेकिन कई बार मिलें इस निर्धारित मूल्य को देने में असमर्थ रहती हैं, जिससे किसान और मिलों के बीच विवाद उत्पन्न होता है।
चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति
गन्ने की कीमतों को लेकर चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति भी महत्वपूर्ण है। दिसंबर 2023 तक, चीनी की कीमतें 38-38.5 रुपये प्रति किलोग्राम थीं, जो कि 2022 की तुलना में बेहतर स्थिति में थीं। इस कारण से यह उम्मीद की जा रही है कि मिलें गन्ने के बढ़े हुए दाम चुकाने में सक्षम होंगी।Cane Up
हालांकि, वित्तीय स्थिति के बावजूद, कई चीनी मिलों ने समय पर भुगतान न करने की प्रवृत्ति जारी रखी है, जो किसानों के लिए बड़ी समस्या है। इससे किसानों की फसली चक्र प्रभावित होता है, और उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है।
गन्ने के उपोत्पाद और उनकी भूमिका
गन्ना केवल चीनी उत्पादन के लिए नहीं, बल्कि इसके उपोत्पादों जैसे इथेनॉल और गुड़ के लिए भी महत्वपूर्ण है। राज्य को इनसे लगभग 50,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता है। सरकार इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भी कदम उठा रही है, ताकि किसान गन्ने के अतिरिक्त मूल्य प्राप्त कर सकें।Cane Up
भविष्य में गन्ना मूल्य निर्धारण की संभावनाएँ
गन्ने की कीमतों में वृद्धि का भविष्य मुख्यतः चीनी और इथेनॉल की वैश्विक और घरेलू मांग पर निर्भर करेगा। अगर चीनी की मांग और कीमतें बढ़ती हैं, तो यह संभावना है कि किसानों को अधिक मूल्य प्राप्त हो। वहीं, इथेनॉल उत्पादन में भी वृद्धि की संभावनाएँ दिख रही हैं, जिससे गन्ना किसानों के लिए आय के नए रास्ते खुल सकते हैं।
2023-2024 में गन्ने के मूल्य का संभावित असर
2023-2024 में गन्ने के मूल्य निर्धारण का प्रभाव किसानों और मिलों दोनों पर महत्वपूर्ण रहेगा। निम्नलिखित तालिका इस वर्ष के गन्ने के मूल्य निर्धारण के मुख्य पहलुओं को दर्शाती है:
घटक | विवरण |
---|---|
कुल गन्ना उत्पादक किसान | 50 लाख से अधिक |
राज्य में कुल चीनी मिलें | 120 |
निजी मिलें | 93 |
सहकारी मिलें | 24 |
राज्य चीनी निगम मिलें | 3 |
गन्ने का प्रति क्विंटल मूल्य | ₹340 (SAP) |
किसानों की मांग | ₹400 प्रति क्विंटल |
चीनी की कीमत (दिसंबर 2023) | ₹38-₹38.5 प्रति किलोग्राम |
राज्य का कुल राजस्व (गन्ना उपोत्पाद) | ₹50,000 करोड़ |
2023-2024 में गन्ने के मूल्य को लेकर स्थिति मिश्रित है। एक ओर, चीनी की कीमतों में वृद्धि ने मिलों की वित्तीय स्थिति को स्थिर बनाए रखा है, जिससे किसानों को लाभ होने की संभावना है। वहीं, दूसरी ओर, चीनी मिलों द्वारा भुगतान में देरी और गन्ने के सही मूल्य को लेकर विवाद अब भी जारी हैं।