cane up.in: भारत में गन्ना किसानों की समस्याएं और उनकी मांगें हमेशा से ही चर्चा का विषय रही हैं। गन्ना उत्पादन में लगे किसानों को उनकी फसल की समय पर कीमत न मिलना एक प्रमुख मुद्दा रहा है। लोकसभा में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, पिछले 4 वर्षों में देशभर के गन्ना किसानों का शुगर मिलों पर लगभग 4,525 करोड़ रुपए बकाया है। यह आंकड़ा न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि यह किसानों की आर्थिक स्थिति और शुगर मिलों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
भारत में गन्ना उत्पादन का महत्व
भारत विश्व में गन्ना उत्पादन में अग्रणी देशों में से एक है। यह फसल किसानों की आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है और चीनी उद्योग की नींव है।
- प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य:
उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, बिहार, और हरियाणा जैसे राज्य गन्ना उत्पादन में सबसे आगे हैं। - चीनी उद्योग की भूमिका:
गन्ना न केवल चीनी उत्पादन के लिए बल्कि इथेनॉल, गुड़, और अन्य उत्पादों के निर्माण के लिए भी इस्तेमाल होता है।
गन्ना किसानों का भुगतान संकट क्या कहता है आंकड़ा?
मंत्रालय के अनुसार, सरकारी नीति के तहत शुगर मिलों को गन्ना किसानों को उनकी फसल की कीमत 14 दिनों के भीतर चुकानी होती है। हालांकि, इस नियम का पालन हर जगह नहीं होता।
- 4 साल का बकाया:
पिछले 4 वर्षों में शुगर मिलों पर कुल 4,525 करोड़ रुपए का बकाया है। - मौजूदा वित्तीय वर्ष 2024-25:
इस साल अब तक 11,141 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाना था, जिसमें से 8,126 करोड़ रुपए चुकाए गए हैं।
शेष 3,015 करोड़ रुपए अभी भी बकाया हैं।
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राज्यवार भुगतान की स्थिति cane up.in
उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र ऐसे दो राज्य हैं जहां सबसे अधिक बकाया देखने को मिला है।
राज्य | बकाया राशि (करोड़ में) |
---|---|
उत्तर प्रदेश | 2,800 करोड़ |
महाराष्ट्र | 1,200 करोड़ |
अन्य राज्य | 525 करोड़ |
सरकार और चीनी मिलों की जिम्मेदारी
शुगर मिलों पर बकाया राशि का मुद्दा राज्य सरकारों के अधीन है।
- केंद्रीय नीति:
केंद्र सरकार ने चीनी मिलों को 14 दिनों के भीतर भुगतान करने का निर्देश दिया है। - राज्य सरकार का दायित्व:
राज्य सरकारों को सुनिश्चित करना होता है कि भुगतान समय पर हो।
मंत्रालय द्वारा दिए गए तथ्य
- 99% भुगतान की उपलब्धि:
वित्तीय वर्ष 2023-24 में कुल 1,11,674 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाना था, जिसमें से 99.90% राशि किसानों को दी गई। - शेष भुगतान की स्थिति:
हालांकि, 1,275 करोड़ रुपए अब भी लंबित हैं।
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गन्ना किसानों की प्रमुख समस्याएं
गन्ना किसानों के भुगतान में देरी उनकी आर्थिक स्थिति को बुरी तरह प्रभावित करती है।
1. ऋण का बोझ
शुगर मिलों से भुगतान में देरी होने पर किसान महंगे ब्याज दरों पर ऋण लेने को मजबूर हो जाते हैं।
2. समय पर फसल की कटाई का मुद्दा
फसल कटाई में देरी से उत्पादन पर असर पड़ता है, जिससे किसानों को नुकसान होता है।
3. सरकारी समर्थन का अभाव
कई बार किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पाता।
भविष्य के लिए समाधान
- डिजिटल भुगतान प्रणाली:
सभी किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए एक केंद्रीय डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाया जाना चाहिए। - नियामक निकाय की स्थापना:
शुगर मिलों की वित्तीय स्थिति पर नजर रखने और किसानों के हितों की रक्षा के लिए एक स्वतंत्र निकाय की आवश्यकता है। - इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा:
चीनी मिलों के लिए इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देना वित्तीय स्थिरता ला सकता है। - सहायता योजना:
किसानों के लिए विशेष सहायता योजना शुरू की जानी चाहिए।
निष्कर्ष
गन्ना किसान भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। हालांकि, उनकी समस्याएं और चुनौतियां लगातार बढ़ रही हैं। शुगर मिलों पर बकाया राशि का मुद्दा यह दर्शाता है कि चीनी उद्योग और सरकार के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता है। समय पर भुगतान सुनिश्चित करना न केवल किसानों की आय को स्थिर करेगा, बल्कि कृषि क्षेत्र को भी सुदृढ़ बनाएगा।
कुलवंत सिंह caneup.tech वेबसाइट के संपादक (Editor) के साथ लेखक भी हैं, जहाँ वे, सरकारी योजना, गन्ना किसान , आदि से सम्बंधित लेख लिखते हैं। कुलवंत सिंह उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। इन्हें इस क्षेत्र में 3 साल से अधिक का अनुभव है। वे मुरादाबाद से स्नातक की पढ़ाई पूरी की हैं। वे अपने अनुभव से caneup.tech पर लिखे गए सभी पोस्ट का संपादन के साथ लेख भी लिखते है.
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