Cane Up: नारायणगढ़ क्षेत्र के गन्ना किसानों के लिए, लंबे समय से चले आ रहे बकाया भुगतान का मुद्दा एक गंभीर समस्या बनी हुई है। यह समस्या वर्षों से किसानों को आर्थिक रूप से जकड़े हुए है, जिससे उनकी दैनिक जिंदगी और खेती की स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। लेकिन हाल ही में नारायणगढ़ से मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की वापसी ने किसानों के बीच नई उम्मीदें जगा दी हैं। उन्हें विश्वास है कि अब उनके बकाया का भुगतान शीघ्र ही होगा और चीनी मिलों के प्रबंधन में सुधार होगा।
नायब सिंह सैनी ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान नारायणगढ़ में आयोजित जन आशीर्वाद रैली में इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त की थी और वादा किया था कि फिर से चुने जाने पर वह इस समस्या का स्थायी समाधान निकालेंगे। किसानों को उम्मीद है कि अब जब सैनी मुख्यमंत्री बने हैं, वह अपने वादे को निभाएंगे और उनकी समस्याओं को प्राथमिकता देंगे।
नारायणगढ़ के गन्ना किसानों की समस्याएं: Cane Up
नारायणगढ़ क्षेत्र के गन्ना किसान लंबे समय से चीनी मिलों से अपने बकाया भुगतान के इंतजार में हैं। खासतौर पर नारायणगढ़ चीनी मिल लिमिटेड से संबंधित मुद्दे किसानों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बने हुए हैं। 2019 से सरकारी निगरानी में होने के बावजूद, इन मिलों में प्रबंधन में सुधार नहीं हो पाया है, और किसान आज भी अपने भुगतान के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
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किसानों की प्रमुख समस्याएं:
- बकाया भुगतान में देरी: नारायणगढ़ के गन्ना किसानों का लगभग 22 करोड़ रुपये का भुगतान पिछले पेराई सत्र से लंबित है, जो मार्च में समाप्त हो गया था। इसके बावजूद, अब तक इस राशि का भुगतान नहीं किया गया है, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति प्रभावित हुई है।
- प्रबंधन में खामियां: नारायणगढ़ चीनी मिलों का प्रबंधन सरकार की निगरानी में होने के बावजूद, मिलों की कार्यक्षमता में कोई सुधार नहीं हुआ है। मिलों की उत्पादन क्षमता और संचालन में सुधार न होने से किसानों को समय पर भुगतान नहीं मिल पाता है।
- सहकारी मिल की स्थापना का वादा: मुख्यमंत्री सैनी ने अपने चुनावी वादे के दौरान सहकारी चीनी मिल स्थापित करने का वादा किया था, लेकिन कुछ किसान इस वादे पर संदेह जता रहे हैं। उनका मानना है कि पहले से मौजूद मिलों के प्रबंधन में सुधार करना अधिक महत्वपूर्ण है।
- आर्थिक तंगी: बकाया भुगतान की देरी के कारण किसानों को अपनी दैनिक जरूरतें पूरी करने में मुश्किल हो रही है। उन्हें खाद, बीज और अन्य कृषि सामग्री खरीदने के लिए उधार लेना पड़ रहा है, जिससे उनके ऊपर आर्थिक बोझ और बढ़ गया है।
गन्ना किसानों की मांगें:
समस्या का नाम | किसानों की मांग |
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बकाया भुगतान में देरी | किसानों को जल्द से जल्द उनका बकाया भुगतान किया जाए। |
चीनी मिलों का प्रबंधन सुधार | मौजूदा चीनी मिलों के प्रबंधन में सुधार किया जाए। |
सहकारी चीनी मिल की स्थापना | नए चीनी मिल की स्थापना और मौजूदा मिलों में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए। |
पेराई सत्र में सुधार | पेराई सत्र समय पर शुरू हो और किसानों को समय पर भुगतान मिले। |
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की वापसी: नई उम्मीदें और चुनौतियाँ
मुख्यमंत्री के रूप में नायब सिंह सैनी की वापसी ने नारायणगढ़ के गन्ना किसानों के बीच एक नई उम्मीद जगा दी है। चुनावी रैलियों के दौरान सैनी ने किसानों के मुद्दों को प्राथमिकता देने का वादा किया था, खासतौर पर नारायणगढ़ चीनी मिल लिमिटेड से संबंधित समस्याओं का समाधान करने की बात कही थी। किसानों को उम्मीद है कि सैनी अब मुख्यमंत्री के रूप में इस मुद्दे को गंभीरता से लेंगे और उनके बकाया का भुगतान शीघ्र करेंगे।
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सैनी के वादे
- सहकारी चीनी मिल की स्थापना: सैनी ने वादा किया है कि वह नारायणगढ़ में एक सहकारी चीनी मिल की स्थापना करेंगे, जिससे किसानों को अपने उत्पाद का उचित मूल्य मिलेगा और भुगतान समय पर होगा।
- मिलों के प्रबंधन में सुधार: सैनी ने यह भी कहा है कि वह मौजूदा मिलों के प्रबंधन में सुधार करेंगे ताकि उत्पादन क्षमता बढ़े और किसानों को समय पर भुगतान मिले।
किसानों की प्रतिक्रिया:Cane Up
हालांकि, कुछ किसानों ने सहकारी चीनी मिल की स्थापना के वादे पर संदेह जताया है। किसानों का मानना है कि सहकारी मिल की स्थापना से पहले मौजूदा मिलों के प्रबंधन में सुधार करना आवश्यक है। उनका कहना है कि अगर मौजूदा मिलों में सुधार किया जाए, तो बकाया भुगतान की समस्या का स्थायी समाधान मिल सकता है।
बीकेयू (चरुनी) के प्रवक्ता राजीव शर्मा ने कहा, “पेराई सत्र अगले महीने शुरू होने वाला है, लेकिन मार्च में समाप्त हुए पिछले सत्र का लगभग 22 करोड़ रुपये का भुगतान अभी भी लंबित है। चूंकि मुख्यमंत्री नारायणगढ़ से हैं, इसलिए हमें पूरी उम्मीद है कि वह हमारी समस्याओं पर ध्यान देंगे और कोई स्थायी समाधान निकालेंगे।”
सहकारी चीनी मिल: संभावनाएं और चुनौतियाँ Cane Up
सहकारी चीनी मिल की स्थापना से किसानों को कई लाभ हो सकते हैं। यह मिल किसानों के स्वामित्व में होती है और इसका प्रबंधन भी किसानों द्वारा ही किया जाता है। इससे उत्पादन लागत में कमी आती है और किसानों को अपने उत्पाद का उचित मूल्य मिलता है।
सहकारी मिल के लाभ:Cane Up
- स्वतंत्रता और नियंत्रण: किसान अपने उत्पाद के मूल्य और मिल के संचालन पर अधिक नियंत्रण रखते हैं।
- प्रबंधन में पारदर्शिता: सहकारी मिलों में पारदर्शिता होती है, जिससे किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिल पाता है।
- भुगतान में तेजी: सहकारी मिलों में किसानों को समय पर भुगतान मिलने की संभावना अधिक होती है, क्योंकि वे खुद मिल के प्रबंधन में शामिल होते हैं।
चुनौतियाँ:
- पूंजी की आवश्यकता: सहकारी मिल की स्थापना के लिए बड़ी पूंजी की आवश्यकता होती है, जिसे किसानों के लिए जुटाना मुश्किल हो सकता है।
- प्रशासनिक चुनौतियाँ: सहकारी मिलों का सही ढंग से प्रबंधन करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य हो सकता है, खासकर जब किसान प्रबंधन में नए हों।
- नियमित भुगतान: सहकारी मिलों में भी यदि प्रबंधन सही नहीं हुआ तो भुगतान में देरी की समस्या आ सकती है।
नारायणगढ़ चीनी मिल: सुधार की आवश्यकता
नारायणगढ़ चीनी मिल लिमिटेड का प्रबंधन कई वर्षों से समस्याग्रस्त रहा है। सरकार की निगरानी में होने के बावजूद, यहां के किसान अब तक अपने बकाया का इंतजार कर रहे हैं। इस मिल में सुधार की आवश्यकता इसलिए भी है क्योंकि अगर मौजूदा मिलों का संचालन सही ढंग से हो, तो सहकारी मिल की स्थापना की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी।
सुधार के लिए सुझाए गए कदम:Cane Up
- प्रबंधन में पारदर्शिता: मिल के प्रबंधन में पारदर्शिता होनी चाहिए ताकि किसानों को भुगतान में देरी न हो।
- उत्पादन क्षमता में वृद्धि: मिल की उत्पादन क्षमता बढ़ाई जानी चाहिए ताकि अधिक से अधिक गन्ना पेराई की जा सके।
- सरकारी समर्थन: सरकार को मिलों के प्रबंधन में सुधार के लिए आर्थिक और तकनीकी सहायता प्रदान करनी चाहिए।
नायब सिंह सैनी की मुख्यमंत्री के रूप में वापसी ने नारायणगढ़ के गन्ना किसानों को नई उम्मीदें दी हैं। उन्हें विश्वास है कि सैनी अपने वादे के अनुसार सहकारी चीनी मिल की स्थापना करेंगे और मौजूदा मिलों के प्रबंधन में सुधार करेंगे। किसानों का बकाया भुगतान करना और मिलों की कार्यप्रणाली में सुधार करना इस क्षेत्र के विकास और किसानों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक है। अब यह देखना बाकी है कि मुख्यमंत्री सैनी अपने वादों को कब और कैसे पूरा करते हैं, लेकिन फिलहाल किसानों के बीच आशा की किरण दिखाई दे रही है।
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