यूपी के किसान की नई क्रांति, गन्ने से सिरका और गुड़ उत्पाद बनाकर तीन गुना बढ़ाई आमदनी
ज्ञानेंद्र वर्मा अपने खेत में गन्ने की फसल प्राकृतिक तरीके से तैयार करते हैं, जिसमें रासायनिक खादों का उपयोग नहीं होता है।
वह खेत को अच्छी तरह से जोतकर भुरभुरा बनाते हैं, ताकि मिट्टी में हवा और पानी का सही आदान-प्रदान हो सके।
वर्मा गोबर की सड़ी हुई खाद या वर्मी कंपोस्ट का उपयोग करके खेत को समतल करते हैं, जिससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है।
गन्ने की बुवाई के लिए वह ट्रेंच विधि का उपयोग करते हैं, जिसमें दो आंख वाले गन्ने के टुकड़ों की बुवाई की जाती है।
गन्ने की फसल से वर्मा सिरका और गुड़ जैसे उत्पाद तैयार करते हैं, जो उन्हें अतिरिक्त आय का स्रोत प्रदान करते हैं।
सिरका और गुड़ के उत्पाद बनाने से वर्मा ने अपनी आय को तीन गुना तक बढ़ा लिया है, जिससे उनका आर्थिक स्तर सुधरा है।
प्राकृतिक विधियों का उपयोग करने से उनके गन्ने की गुणवत्ता बेहतर होती है, जिससे बाजार में उनकी मांग बढ़ी है।
ज्ञानेंद्र वर्मा की यह तकनीक और उत्पादकता बढ़ाने की कहानी अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है।