Kisan News: दिल्ली की सड़कों पर बुधवार को किसानों और पुलिस के बीच का तनाव साफ दिखा। किसानों का कहना था कि उनका शांतिपूर्ण प्रदर्शन है, लेकिन जैसे ही उन्होंने बैरिकेड्स पार करने की कोशिश की, माहौल गरम हो गया।क्या आपने कभी सोचा है कि किसान आंदोलन में भी एक्शन फिल्म जैसी सिचुएशन हो सकती है? जी हां, बुधवार को ऐसा ही कुछ हुआ।
दोपहर में बैरिकेड्स तोड़े, पुलिस ने आंसू गैस छोड़ी
किसानों ने दोपहर में बैरिकेड्स तोड़ने की कोशिश की। मानो कह रहे हों, “अबकी बार हम दिल्ली पहुंचेंगे ही पहुंचेंगे!” लेकिन पुलिस ने भी कमर कस ली थी। उन्होंने आंसू गैस के गोले दाग दिए। किसानों की आंखें लाल हो गईं, नाक में जलन होने लगी। मानो कोई प्याज काट रहा हो। इस हंगामा में 8 किसान घायल हो गए।
किसानों की मांगें क्या हैं? Kisan News
किसानों की मांगें बिल्कुल जायज हैं। वे चाहते हैं कि सरकार उनकी फसल का उचित दाम दे। यानी, उनकी मेहनत का पूरा पैसा मिले। वे चाहते हैं कि सरकार कर्ज माफ कर दे। किसानों का कहना है कि वे इतना कर्जदार हो गए हैं कि अब सांस लेने की फुर्सत नहीं मिलती।
सरकार क्या कर रही है?
सरकार किसानों की बात सुन तो रही है, लेकिन कुछ खास कर रही है, ऐसा नहीं लगता। किसानों को लगता है कि सरकार उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रही है।
क्या होगा आगे?
अब देखना यह है कि सरकार किसानों की मांगें मानती है या नहीं। अगर सरकार ने किसानों की मांगें नहीं मानीं तो फिर से बड़ा आंदोलन हो सकता है। किसानों का कहना है कि वे अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।
किसानों के आंदोलन का असर
किसानों के आंदोलन का असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है। सब्जियों और फलों की कीमतें बढ़ गई हैं। आम आदमी को महंगाई का सामना करना पड़ रहा है।
मुख्य बातें
मुद्दा | विवरण |
---|---|
दिल्ली मार्च | किसानों ने विरोध स्वरूप मार्च किया। |
पुलिस की कार्रवाई | आंसू गैस के गोले दागे गए। |
घायल हुए लोग | कुल 8 लोग घायल हुए। |
अल्टीमेटम | किसानों ने सरकार को 1 दिन का समय दिया। |
किसानों के आंदोलन पर चुटकुले
किसानों के आंदोलन पर कई तरह के चुटकुले भी बन रहे हैं। कोई कह रहा है कि किसान अब दिल्ली में घर बना लेंगे। कोई कह रहा है कि किसानों ने अब सरकार को बंधक बना लिया है।
यह आंदोलन क्यों इतना महत्वपूर्ण है?
किसानों का यह आंदोलन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह देश के लाखों किसानों की आवाज है। किसान देश की रीढ़ की हड्डी हैं। अगर किसान खुश नहीं होंगे तो देश कैसे खुश होगा?
निष्कर्ष
किसानों का आंदोलन एक गंभीर मुद्दा है। सरकार को किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लेना होगा। किसानों और सरकार को मिलकर एक समाधान निकालना होगा।
अस्वीकरण : हम गारंटी नहीं दे सकते कि इस पृष्ठ पर दी गई जानकारी 100% सही है। हम कोशिश करते है की आपको सही और सटीक जानकारी दे सके, ताकि आपको जानकारी प्राप्त होने पर खुसी मिले।
कुलवंत सिंह caneup.tech वेबसाइट के संपादक (Editor) के साथ लेखक भी हैं, जहाँ वे, सरकारी योजना, गन्ना किसान , आदि से सम्बंधित लेख लिखते हैं। कुलवंत सिंह उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। इन्हें इस क्षेत्र में 3 साल से अधिक का अनुभव है। वे मुरादाबाद से स्नातक की पढ़ाई पूरी की हैं। वे अपने अनुभव से caneup.tech पर लिखे गए सभी पोस्ट का संपादन के साथ लेख भी लिखते है.